बिहार राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में एक अहम निर्देश जारी किया है, जिसका संबंध कार्यालय के समय के बाद बेकार बैठकों पर रोक लगाने से है। यह आदेश बिहार विधानसभा की नियुक्त विधान समिति की विशेष रिपोर्ट (रिपोर्ट संख्या-02, दिनांक 16 दिसंबर 2022) के आधार पर जारी किया गया है।
निर्देश का संदर्भ और लक्ष्य
बिहार विधानसभा की नियुक्त विधान समिति ने अपनी विशेष रिपोर्ट में राज्य में होने वाली अवांछनीय बैठकों को कार्यसंस्कृति में सुधार की दिशा में एक प्रमुख अवरोध बताया है। समिति ने देखा कि जिलों के अधिकारियों और अनुमंडल के अधिकारियों द्वारा अक्सर कार्यालय समय के पश्चात बैठकों का आयोजन किया जाता है, जिससे कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित होता है। साथ ही, ऐसी बैठकों में कभी-कभी अनुचित भाषा का इस्तेमाल भी होता है, जो कर्मचारियों की कार्यक्षमता और रुचि को घटाता है।
समिति ने यह भी बताया कि ऐसी बैठकों के लिए न तो कोई निर्धारित कार्यसूची होती है और न ही इनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड रखा जाता है। इससे कर्मचारियों को अनावश्यक तनाव का सामना करना पड़ता है। यदि कोई कर्मचारी ऐसी बैठक के बाद घर लौटते समय किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो इसे कार्यस्थल पर हुई दुर्घटना के रूप में नहीं माना जाता, जिससे उसे उचित मुआवजा या सहायता नहीं मिल पाती।
इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागीय अधिकारियों, प्रमंडलीय आयुक्तों, जिला प्रमुखों और अनुमंडल प्रमुखों को यह निर्देश दिया है कि वे कार्यालय समय के बाद बैठक का आयोजन न्यूनतम करें और ऐसी बैठकों को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में प्रयास करें।
कार्यालय अवधि क्या होती है?
सरकारी कार्यालयों में काम करने का समय आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक होता है। इसे “कार्यालय अवधि” कहा जाता है। इस समयावधि के बाद यानी शाम 5:00 बजे के बाद किसी प्रकार की आधिकारिक गतिविधियाँ, जैसे कि बैठकें, करना अब मना कर दिया गया है।
किस पर लगी है रोक?
- सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देश में निम्नलिखित बातें स्पष्ट रूप से रोक लगाई गई हैं:
- दफ्तर की अवधि के बाद विभागीय सम्मेलनों का आयोजन।
- कर्मचारियों को बिना जरूरी कारण के कार्यालय में रुकवाना।
- कामकाजी दिन खत्म होने के बाद बैठक के लिए बुलाना।
निर्देश के मुख्य बिंदु
सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र (पत्र संख्या: 1/वयू0-1004/2022-स्तापष0-9203/6, दिनांक 16 जून 2023) में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
- बेकार बैठकों पर रोक: कार्यालय समय के बाद आयोजित होने वाली बैठकों को समाप्त करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। समिति का दृष्टिकोण है कि ऐसी बैठकों से कर्मचारियों का समय और ऊर्जा बर्बाद होती है, जिसका उपयोग अन्य उत्पादक कार्यों में किया जा सकता है।
- आपातकालीन बैठकों के लिए दिशा-निर्देश: यदि किसी आपात स्थिति में बैठक करना जरूरी है, तो उस बैठक के बाद प्रासंगिक घटनोत्तर आदेश (post-facto order) जारी किया जाना चाहिए। इससे बैठक की वैधता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
- कर्मचारियों के मनोबल पर असर: समिति ने पाया कि अनावश्यक बैठकों और उनमें अनुचित भाषा के प्रयोग से कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित होता है। यह न केवल उनकी कार्यक्षमता को कम करता है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत जिंदगी पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- कार्यालय समय की मान्यता: कार्यालय के घंटों को मानव शरीर की क्षमताओं और कार्य-जीविका संतुलन को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया गया है। इसीलिए, कर्मचारियों को कार्यालय समय के अंत के बाद अनावश्यक रूप से रोकना उचित नहीं माना जाता है।
- दुर्विघटन और मुआवजा: कार्यालय समय के बाद आयोजित होने वाली बैठकों के कारण कर्मचारियों को घर लौटने में देरी होती है। यदि इस अवध में कोई हादसा होता है, तो इसे कार्य से संबंधित नहीं मान लिया जाता है, जिसके चलते कर्मचारी को कोई मुआवजा नहीं किया जाता।
इस निर्देश का महत्व
यह निर्देश कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन को सुधारने में सहायता करता है। वर्तमान समय में, कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आवश्यक है। कार्यालय समय के बाद अनावश्यक बैठकों का आयोजन न केवल कर्मचारियों के निजी समय पर प्रभाव डालता है, बल्कि उनके पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित करता है।
इसके अलावा, यह निर्देश प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देता है। आकस्मिक बैठकों के लिए आदेश जारी करने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि ऐसी बैठकों का दुरुपयोग न हो और उनकी आवश्यकता स्पष्ट हो।
तीसरा, यह कर्मचारियों के मनोबल को बेहतर बनाने में सहायक होगा। जब कर्मचारियों को अव्यवस्थित भाषा या अनावश्यक दबाव का सामना नहीं करना पड़ेगा, तो उनकी कार्यक्षमता और सृजनात्मकता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी।
कर्मचारियों पर प्रभाव
इस निर्देश का सबसे बड़ा प्रभाव कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन पर होगा। कर्मचारियों को अब कार्यालय समय के बाद अनावश्यक रूप से रुकने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा। इससे वे अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता सकेंगे, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
इससे और यह भी स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता दी जा रही है। कार्यालय समय के बाद होने वाली बैठकों की वजह से कर्मचारियों को जोखिम का सामना करना पड़ता था, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां देर रात यात्रा करना खतरनाक हो सकता है। अब ऐसी बैठकों पर रोक लगने से कर्मचारियों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव
यह निर्देश प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और अधिक प्रबन्धित और प्रभावी बनाने में सहायक होगा। अनावश्यक बैठकों को समाप्त करने से अधिकारियों को महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का समय मिलेगा। इसके अतिरिक्त, बैठकों के लिए कार्यक्रम और रिकॉर्ड बनाए रखने की प्रक्रिया के लागू होने से प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ जाएगी।
यह निर्देश सुनिश्चित करता है कि बैठकों का आयोजन केवल तब किया जाए, जब यह वास्तव में आवश्यक हो। इससे समय और संसाधनों की बर्बादी कम होगी, और प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि यह निर्देश सकारात्मक प्रयास है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी आ सकती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ अधिकारी इस नियम का पालन करने में अनिच्छा दिखा सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कार्यालय समय के बाद बैठकों की परंपरा लम्बे समय से चलती आ रही है। इसके अलावा, आपात स्थिति में बैठकें आयोजित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की जरूरत होगी ताकि कोई भी भ्रम न हो।
इन समस्याओं को हल करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- जागरूकता कार्यक्रम: सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को इस सूचना के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण सत्र और कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए।
- निगरानी प्रणाली: यह सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए ताकि निर्देश का पालन हो सके। इसके लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली भी विकसित की जा सकती है।
- तकनीकी उपाय: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसे तकनीकी उपायों का इस्तेमाल करके आपात संबंधी बैठकों को कार्य समय के भीतर आयोजित किया जा सकता है।
बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग का यह निर्देश कर्मचारियों की भलाई और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। कार्यालय के समय के बाद गैरजरूरी बैठकों पर रोक लगाकर, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्राथमिकता है। यह निर्देश न केवल कर्मचारियों के कार्य और व्यक्तिगत जीवन के संतुलन को बेहतर करेगा, बल्कि प्रशासनिक नियमों को और भी अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनाएगा।