बिहार सरकार का मिशन दक्ष

बिहार सरकार का मिशन दक्ष

शिक्षा के क्षेत्र में एक नई परिवर्तन लाने के लिए “मिशन दक्ष” योजना की शुरुआत की गई है। यह योजना उन छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन साबित हो रही है, जो राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं और जिनकी पढ़ाई में कमी है और जो अपनी कक्षा के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने में असमर्थ हैं। मिशन दक्ष का प्राथमिक लक्ष्य स्कूल छोड़ने की दर को कम करना और इन कमजोर छात्रों को विशेष सहायता देकर उन्हें आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना है।

मिशन दक्ष क्या है?

मिशन दक्ष, जिसे पूर्ण रूप से “डायनामिक अप्रोच फॉर नॉलेज एंड स्किल” कहा जाता है, बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका आरंभ 1 दिसंबर 2023 को किया गया था, और इसका उद्देश्य कक्षा 3 से 8 तक के 25 लाख छात्रों को सहायता प्रदान करना है, जो शिक्षा में पीछे हैं। योजना के तहत, ऐसे छात्रों के लिए हिंदी, गणित और अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों पर विशेष कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन कक्षाओं में एक शिक्षक को अधिकतम पांच छात्रों को पढ़ाने का कार्य सौंपा जाता है ताकि हर छात्र पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

मिशन दक्ष का उद्देश्य

मिशन दक्ष का मुख्य उद्देश्य बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कमजोर छात्रों की शैक्षणिक स्थिति में सुधार लाना है। शिक्षा विभाग के निरीक्षण में यह साफ हुआ कि बड़ी संख्या में छात्र अपनी कक्षा के अनुरूप पढ़ने, लिखने और बुनियादी गणित में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण, अनेक छात्र स्कूल छोड़ देते हैं या आगे की पढ़ाई में असफल होते हैं। इस योजना के माध्यम से सरकार निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति करना चाहती है:

  1. स्कूल छोड़ने की दर में कमी: कमजोर छात्रों को विशेष सहायता देकर उनकी अध्ययन में रुचि बनाए रखना और ड्रॉपआउट की दर को आवश्यक रूप से कम करना।
  2. शैक्षणिक स्तर में सुधार: हिंदी और अंग्रेजी में स्वच्छंद पढ़ने-लिखने की क्षमता और बुनियादी गणित में दक्षता हासिल करने में छात्रों की सहायता करना।
  3. व्यक्तिगत देखभाल: छोटे समूहों की पढ़ाई के द्वारा छात्रों की कमजोरियों को दूर करना।
    शिक्षकों की जिम्मेदारी: शिक्षकों को छात्रों के प्रदर्शन के लिए उत्तरदायी बनाना और उनकी प्रगति पर निगरानी रखना।

मिशन दक्ष की कार्यप्रणाली

मिशन दक्ष की कार्यप्रणाली को प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए बिहार शिक्षा विभाग ने अनेक कदम उठाए हैं। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक निर्धारित ढांचा तैयार किया गया है, जो इस प्रकार से काम करता है:

  1. कमजोर छात्रों की पहचान: पहले कदम के रूप में, सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 से 8 तक के उन छात्रों का चयन किया जाता है, जो शिक्षा में कमजोर है। यह कार्य शिक्षकों और स्कूल प्रशासन द्वारा किया जाता है।
  2. छोटे समूहों का निर्माण: पहचाने गए छात्रों को पाँच-पाँच के छोटे समूहों में विभाजित किया जाता है। हर समूह को एक शिक्षक सौंपा जाता है।
  3. विशेष कक्षाएं: इन समूहों के लिए रोजाना 45 मिनट की विशेष कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। ये कक्षाएं नियमित विद्यालय समय के पश्चात, यानी दोपहर 3:30 से 4:15 बजे तक चलती हैं।
  4. निगरानी समितियां: जिलाधिकारियों के नेतृत्व में जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया गया है, जो योजना के कार्यान्वयन और प्रगति पर ध्यान देती हैं।
  5. परीक्षा और मूल्यांकन: नियमित अंतराल पर इन छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए विशेष परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। अप्रैल 2024 में 25 लाख छात्रों की अंतिम परीक्षा संपन्न हुई थी, जिसमें असफलता की स्थिति में शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई का नियम है।

मिशन दक्ष के लाभ

मिशन दक्ष योजना बिहार के शैक्षणिक क्षेत्र में कई सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। इसके कुछ मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:

  1. छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाना: छोटे समूहों में अध्ययन और व्यक्तिगत ध्यान के जरिए छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है। वे अपनी कमजोरियों को दूर करने में सक्षम हो पाते हैं।
  2. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: यह योजना सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक है, जिससे बिहार की शैक्षिक छवि और प्रबल होती है।
  3. शिक्षकों की सक्रियता: शिक्षकों को विद्यार्थियों की प्रगति के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे उनकी कार्यकुशलता और समर्पण में वृद्धि होती है।
  4. सामाजिक विकास: शिक्षा में सुधार से विद्यार्थी भविष्य में बेहतर रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं, जो सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक है।

मिशन दक्ष का प्रभाव

मिशन दक्ष के शुभारंभ के बाद बिहार के सरकारी स्कूलों में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं। राज्य के 60,000 से अधिक स्कूलों में इस योजना को लागू किया गया है, जहाँ करीब 5 लाख शिक्षकों ने 25 लाख छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली है। विशेष कक्षाओं के कारण कई छात्रों ने हिंदी और अंग्रेजी में धाराप्रवाह पढ़ना सीख लिया है, और गणित के बुनियादी प्रश्नों को हल करने में भी सुधार हुआ है।

हालाँकि, इस योजना के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं। कुछ क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों का अभाव कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न कर रहा है। इसके बावजूद, सरकार और शिक्षा विभाग लगातार इस योजना को सफल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। जिला निगरानी समितियों के सहयोग से इन समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।

मिशन दक्ष और भविष्य की योजनाएं

मिशन दक्ष की सफलता को देखते हुए बिहार सरकार ने इसे और विकसित करने की योजना बनाई है। हाल ही में “मिशन निपुण” नामक एक नई पहल शुरू की गई है, जो कक्षा 1 से 3 तक के छात्रों पर केंद्रित है। इस योजना का उद्देश्य छोटी कक्षाओं में छात्रों को अक्षरज्ञान और बुनियादी शिक्षा प्रदान करना है, ताकि वे आगे की कक्षाओं में कमजोर न पड़ें। मिशन दक्ष और मिशन निपुण मिलकर बिहार की शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।

मिशन दक्ष बिहार सरकार की एक विशिष्ट योजना है, जो शिक्षा में समानता और गुणवत्ता स्थापित करने की कोशिश कर रही है। यह कार्यक्रम कमजोर विद्यार्थियों को सशक्त करने के साथ-साथ शिक्षकों और विद्यालय प्रशासन को अपनी भूमिकाओं के प्रति सावधान करता है। यदि यह योजना सफल रही, तो यह बिहार की शैक्षणिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में मददगार होगी| वर्तमान समय में शिक्षा हर बच्चे का आवश्यक हक है, और मिशन दक्ष इस हक को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। बिहार सरकार का यह कदम न केवल राज्य के बच्चों के भविष्य को रोशन करेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।