बिहार सरकार के शिक्षकों के ट्रांसफर आदेश

बिहार सरकार के शिक्षकों के ट्रांसफर आदेश

बिहार सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में शिक्षकों के ट्रांसफर के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन जारी किया है। यह नोटिफिकेशन उन शिक्षकों और अध्यापिकाओं के लिए लागू किया गया है जो विशेष परिस्थितियों में कार्यरत हैं, जिसके अंतर्गत उनकी आवश्यकताओं और मांगों के आधार पर ट्रांसफर प्रक्रिया को क्रमवार तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। शिक्षकों को सभी नियमों और शर्तों का पालन करने की जिम्मेदारी लेनी होगी, ताकि उनका स्थानांतरण बिना किसी कठिनाई के संपन्न हो सके। यह प्रक्रिया न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक नई शुरुआत हो सकती है। भविष्य में ऐसे प्रयासों से शिक्षकों और छात्रों दोनों को लाभ मिलेगा।

ट्रांसफर प्रक्रिया की शुरुआत

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने 21 नवंबर 2024 को अपने विभागीय आदेश (ज्ञापांक-2035) और शुद्धि पत्र (ज्ञापांक-2036) के आधार पर यह निर्णय लिया कि विशेष परिस्थितियों से प्रभावित अध्यापकों के लिए ट्रांसफर के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। इस हेतु ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर 1 दिसंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए। इस प्रक्रिया के संबंध में मार्गदर्शिका भी विभागीय पत्रांक-2048 के माध्यम से जारी की गई।

इस अवधि में लगभग 1,90,000 शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन प्रस्तुत किए, जिसमें 51,284 शिक्षकों ने अंतर-जिला ट्रांसफर की मांग की। यह आंकड़ा दिखाता है कि शिक्षकों के बीच ट्रांसफर की आवश्यकता कितनी विशाल है। विभाग ने इन आवेदन पत्रों को क्रमवार तरीके से निपटाने का निर्णय लिया, जिसके लिए मुख्यालय स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति भी की गई।

क्रमिक ट्रांसफर प्रक्रिया

ट्रांसफर प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए इसे विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया। पहले चरण में गंभीर बीमारी, विकलांगता, विधवा स्थिति, और अन्य विशेष परिस्थितियों से प्रभावित अध्यापकों के आवेदन पर विचार किया गया।

  • 10 जनवरी 2025: इस तारीख को 47 नियमित शिक्षकों के आवेदन का निपटारा किया गया।
  • 25 फरवरी 2025: बिहार लोक सेवा आयोग (TRE-1 और TRE-2) से नियुक्त 260 शिक्षकों के आवेदन को निपटाया गया।
  • 24 मार्च 2025: गंभीर बीमारी, विकलांगता, ऑटिज्म/मानसिक दिव्यांगता, विधवा स्थिति, परित्यक्ता स्थिति, और पति के ट्रांसफर के आधार पर 10,225 महिला शिक्षकों का अंतर-जिला ट्रांसफर किया गया।

इसके बाद पुरुष शिक्षकों के लिए भी पत्नी की नियुक्ति के आधार पर ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए 9 जनवरी 2025 को एक विभागीय आदेश (ज्ञापांक-82) जारी किया गया, जिसके तहत एक स्थापना समिति का गठन किया गया। इस समिति की बैठक 28 मार्च 2025 को शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई, जिसमें 2,390 पुरुष शिक्षकों के आवेदनों की समीक्षा की गई। समिति ने सर्वसम्मति से निम्नलिखित निर्णय लिए:

  1. पटना जिले के संबंध में निर्णय: पटना जिले में पहले से बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होने के कारण, 239 शिक्षकों ने जिनका विकल्प पटना था, उनके आवेदन पर बाद में विचार करने का निर्णय लिया गया।
  2. अन्य जिलों के लिए स्थानांतरण: 2,151 आवेदन, जो पटना को छोड़कर अन्य जनपदों में स्थानांतरण के लिए प्रस्तुत किए गए थे, उनका सॉफ्टवेयर के माध्यम से विश्लेषण किया गया। इन आवेदनों के आधार पर विभिन्न जिलों का आवंटन किया गया, जिसकी जानकारी अनुलग्नक-1 में दी गई है।

स्थानांतरण हेतु शर्तें और दिशा-निर्देश:

शिक्षकों के स्थानांतरण को पारदर्शिता और नियमों के अंतर्गत लाने के लिए कई शर्तें लागू की गई हैं। सभी स्थानांतरित शिक्षकों को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर दो शपथ-पत्र अपलोड करना अनिवार्य होगा:

  1. शपथ-पत्र 1: यदि शिक्षक द्वारा प्रस्तुत आवेदन या घोषणापत्र में कोई गलत जानकारी पाई जाती है, तो उनके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसका प्रारूप अनुलग्नक-2 में शामिल है।
  2. शपथ-पत्र 2: शिक्षकों को आवंटित जिले को स्वीकृत करना होगा। समिति उनके द्वारा दिए गए विकल्पों को प्राथमिकता के आधार पर देखेगी। यदि प्राथमिकता के अनुसार स्कूल उपलब्ध नहीं है, तो निकटतम पंचायत या प्रखंड में नियुक्ति स्वीकार करनी होगी। इसका प्रारूप अनुलग्नक-3 में दिया गया है।

इन दोनों शपथ-पत्रों को अपलोड करना जरूरी है। यदि कोई शिक्षक ऐसा नहीं करता है, तो उसके स्थानांतरण को रद्द कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि भविष्य में दिए गए विवरण गलत पाए जाते हैं, तो विभाग उस शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा।

स्कूल आवंटन और अन्य नियम

स्थानांतरित शिक्षकों के लिए स्कूल आवंटन का आयोजन 10 अप्रैल 2025 से 20 अप्रैल 2025 तक होगा। यह स्थानांतरण शिक्षकीय गतिविधियों से संबंधित माना जाएगा। अंतर-जिला स्थानांतरण में, नए जिले में योगदान के बाद शिक्षकों की वरिष्ठता का निर्धारण किया जाएगा, जो पहले से मौजूद नियमों के अनुरूप होगा।

इसके अलाव, यदि भविष्य में छात्र-शिक्षक अनुपात में कोई असामान्यता उत्पन्न होती है, तो स्थानांतरित शिक्षकों को पुनः स्थानांतरण के लिए तैयार रहना आवश्यक होगा। यह प्रावधान शिक्षकों की उपलब्धता और विद्यालयों की आवश्यकताओं के बीच समानता बनाए रखने के लिए बनाया गया है।

विशेष परिस्थितियों का ध्यान

इस स्थानांतरण प्रक्रिया में स्थानीय निकाय के शिक्षकों को शामिल नहीं किया गया है। यदि किसी स्थानीय शिक्षक का स्थानांतरण होता है, तो संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी सूचना ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर उप्लब्ध करानी होगी। ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण उस समय तक विचाराधीन रहेगा जब तक वे संबंधित परीक्षा पास नहीं कर लेते और योगदान नहीं देते।

साथ ही, विभागीय कार्रवाइयों, निगरानी जांच या वित्तीय गबन से प्रभावित शिक्षकों के स्थानांतरण पर विचार नहीं किया जाएगा। यदि गलती से ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण होता है, तो जिला शिक्षा अधिकारी उन्हें स्कूल में शामिल नहीं करेंगे।

स्थानांतरण का प्रभाव

यह स्थानांतरण प्रक्रिया शिक्षकों के लिए कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। विशेष परिस्थितियों में कार्यरत शिक्षकों को अपने परिवार के करीब या सुविधाजनक स्थानों पर काम करने का अवसर मिलेगा। इससे उनकी कार्यक्षमता और संतोष में सुधार संभव है। हालांकि, पटना जैसे जिलों में स्थानांतरण पर लगी रोक कुछ शिक्षकों को असंतोषित कर सकती है।

शिक्षा विभाग का यह कदम शिक्षकों की व्यक्तिगत और पेशेवर आवश्यकताओं के संयोग में एक सकारात्मक प्रयास है। विभाजित प्रक्रिया और सॉफ्टवेयर आधारित आवंटन से पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है, जो प्रशासनिक प्रभावशीलता को दर्शाता है।

बिहार सरकार का यह शिक्षक स्थानांतरण आदेश एक व्यापक और विचारशील प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों की समस्याओं को हल करना है और शिक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करना है। ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन और शपथपत्र अपलोड करने की प्रणाली ने इस प्रक्रिया को डिजिटल और सुविधाजनक बनाया है।